2500 साल  पुराने रहश्य से अब पर्दा उठा या कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक छात्र ने , पाणिनि के रहश्य से पर्दा फाश की एक भारतीय.


पाणिनि को दुनिया पहला सूचनाबादी के जनक मानाजाता हे, उन्होंने सूचना को डिकोड करने के लिए भाषा का प्रयोग किया था. 


उनके रचित "अस्टध्यायी"संस्कृत ग्रामर के नियम का पुस्तक हे , इसमें ब्याकरण के करीब 400 नियम हे . पाणिनि के नियम 2500 साल पुरानी यानि 500 BC के आसपास ये नियम की रचना की गई थी.


तो जैसा की आप जानते हे पाणिनि को दुनिया का पहला सुचनाबादी माना जाता हे, पाणिनि के बाद से 

 आज तक उनके नियम के ऊपर पर्दा पद गया था , मगर एक भारतीय ने 2500 साल पुरानी  संस्कृत ब्याकरण की समस्या का हल किया हे.


इस ब्यक्ति का नाम हे डॉ. ऋषिराज  पोपट , ये मुंबई के बाहरी इलाके के रहने बाले हे. ऋषिराज ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज के एक पि.एचडी (P .HD ) स्टूडेंट हे.


ऋषिराज पाणिनि के ऊपर एक थीसिस "पाणिनि,वी ट्रस्ट डिस्कवरिंग दी अल्गोरिथम फॉर रूल कनफ्लिक्ट रेसोलुशन इन अस्टध्यायी " तैयार की हे .


पाणिनि संस्कृत के एक महानज्ञानी थे , उनकी पुस्तक " अस्टध्यायी" हे, उन्हें भाषा बिज्ञान के पिता कहा जाता हे. 


भाषा बिज्ञान के मुताबिक ऋषिराज की खोज से पाणिनि की संस्कृत ब्याकरण कंप्यूटर को भी शिखाई जा सकेगी.


पाणिनि ने कुछ सूत्र बनाये थे, अलग अलग बिद्वानो ने अपने हिसाब से परिभासित कर रहे थे, ऋषिराज कहते हे की अभीतक जो ब्याख्या की जारही हे वो गलत हे.


ऋषिराज कहते हे " समानसमर्थ के दो नियमो के बिच बिरोध होने पर ब्याकरण के क्रम में बाद में आने बाले नियम का चुनाब करना चाहिए" ये अभी के नियम हे, मगर पाणिनि के नियम कहता हे की " एक ही चरण में नियमो के बिच इस तरह की संसय या भ्रम की स्थिति में शब्दों के दाहिने हिस्से पर लगा होने बाले नियम को चूमा जाता हे.


ऋषिराज कहते हे की उन्हें कोई भी उपबाद नहीं आयी जब वे इसी सूत्र का प्रयोग करते हुए और लैंग्वेज मशीन पर इसका प्रयोग करते समय नियम भी सटीक बैठता हे.


उनकी ये थीसिस 15 दिसंबर को पो पब्लिश हुई, उनके द्वारा पहली बार पाणिनि के भाषा मशीन सटीक इस्तेमाल करना सम्भब हुआ.