•  आज पुरे देस भर में नौसेना दिबस मनाया जारहा है


ऐतिहासिक  रूपसे भारतीय नौसेना उपनीबेसिक ब्रिटिश रॉयल नेवी की उत्तराधिकारी है | 

1830 में ब्रिटिश क्राउन के अधीन ईस्ट-इंडिया कंपनी की नौसेना का नाम भारतीय नौसेना रखागयाथा |

1943 अक्टूबर में एक बार फिर से इसका नाम भारतीय नौसेना रखा गया था |


रॉयल इंडियन नेवी की मुख्यालय बॉम्बे को बनाया गया था |


अपनी उपनीबेसिक सत्ता को मजबूत करने और नेवी नियंत्रण करने के उद्देश्य से 1941 को मार्च में इसका मुख्यालय को बॉम्बे से हटाकर दिल्ली को स्थानांतरित कर दिया गया |


1947 में भारत के बिभाजन के समय "रॉयल इंडिया नेवी" को दो भागो में बाँट दिया गया, पहला "रॉयल इंडियन नेवी" और दूसरा "रॉयल पाकिस्तान" नेवी |


26 जनबरी 1950 को भारत के स्वतंत्र बनने के साथ " रॉयल इंडियन नेवी " से इसका उपसर्ग " रॉयल " को हटा दिया गया था |


आज पुरे देस भर में नौसेना दिबस मनाया जारहा है, ये पहली बार है , जब नौसेना दिबस के समारोह को राष्ट्रीय राजधानी के बजाये राजधानी के बहरइसका आयोजित किया जारहा है | 


1971 को भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान " ऑपरेशन ट्रिडेंट " को सम्मान देने और उस यादगार पल को याद करने के लिए हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिबस के रूप में इसका आयोजन किया जाता है |

नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरी कुमार इस सभा का मेजबानी करेंगे |


बिशाखपट्नम में हो रही समारोह में राष्ट्रपति और शशस्त्र बालों की सर्बोच्च कमांडर द्रोपती मुर्मू बिशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह का हिस्सा होंगी |


इस समारोह में नौसेना के द्वारा एक परिचालनात्मक प्रदर्शन के माध्यम से भारत के लड़ाकू शक्ति और क्षयमाता का प्रदर्शन किया जाएगा |


इस दौरान भारत की नौसेना के जाहाज, पाण्डुपियाँ, बिमान, और नौसेना का कमांड के बिशेष बल , नौसेना की क्षयमाता और बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया जाएगा |


पहली बार नौसेना दिबस समारोह को राष्ट्रीय राजधानी के वजाये राजधानी के बाहर आयोजित किया जा रहा है | परंपरा गत के रूप से नौसेना दिबस का समारोह नईदिल्ली में माननीय राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य ब्यक्ति की उपस्थिति में  आयोजित किया जाता रहा है |